सालो बाद इस बात का खुलासा हुआ है की आखिरकार क्यों सोनिया गाँधी ने राजीव गाँधी के हत्यारे को नहीं देने दी थी फांसी,क्या थी उसकी वजह,आज हम आप को बताने जा रहे है,
जेल में नलिनी मुरुगन ने एक किताब लिखी थी जो 2016 में आई इस किताब में नलिनी ने प्रियंका गांधी से मुलाकात के बारे में लिखा था. नलिनी ने लिखा था कि प्रियंका गांधी फूट-फूट कर रो रही थी. उन्होंने मुझसे पूछा- 'तुमने ऐसा क्यों किया? मेरे पिता एक अच्छे इंसान थे, एक नरमदिल इंसान. अगर तुम्हें कोई समस्या थी तो तुम उनके साथ बात करके सुलझा सकती थी.’
किताब में नलिनी ने लिखा था कि उसे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि प्रियंका गांधी इस तरह से रोने लगेंगी. नलिनी ने लिखा कि उसने जवाब में कहा, मैडम, मैं कुछ नहीं जानती. मैं एक चींटी को भी चोट नहीं पहुंचा सकती. मैं परिस्थितियों की वजह से कैद में हूं. मैं किसी को चोट पहुंचाने के बारे में सपने में भी नहीं सोच सकती.’
इंदिरा जयसिंह के बयान के बाद एक बार फिर राजीव गांधी हत्याकांड और मामले की दोषी नलिनी की चर्चा चल निकली है. इसकी सिर्फ कल्पना की जा सकती है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद उनकी पत्नी सोनिया गांधी और बच्चे राहुल और प्रियंका पर क्या गुजरी होगी? लेकिन इसके बावजूद देश के सबसे बड़े हत्याकांड की दोषी नलिनी को गांधी परिवार ने माफ कर दिया. एक सवाल उठता है कि ऐसा किन हालात में हुआ और गांधी परिवार ने इस पर अपने क्या विचार रखे थे.
राजीव गांधी के हत्यारों को माफ करने को लेकर 2010 में एक टेलीविजन इंटरव्यू में प्रियंका गांधी ने अपने विचार रखे थे. एनडीटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि वो वर्षों तक सदमे को सहती रहीं. अपने भीतर जमा गुस्से और अंतर्विरोध से संघर्ष करती रहीं. इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि ‘शुरुआती वर्षों में मेरे अंदर बहुत अधिक गुस्सा भरा था. मेरा गुस्सा किसी खास व्यक्ति के लिए नहीं था, जिसने मेरे पिता की हत्या की थी. मैं पूरी दुनिया से गुस्सा थी.’
प्रियंका से सवाल किया गया कि जब आपके भीतर इतना गुस्सा था तो आपने हत्यारों को माफ कैसे किया? इस पर प्रियंका बोलीं- ये बहुत धीरे-धीरे हुआ. आपको पता होता है कि आप गुस्सा हो. मेरे विचार से किसी को माफ कर देने का ख्याल खुद को पीड़ित महसूस करने से जुड़ा है. अगर आपके साथ कोई बुरा करता है तो आप पीड़ित महसूस करते हो. जिसे आप सबसे ज्यादा प्यार करते हो, उसे अगर कोई जान से मार दे तो ये बहुत बड़ी बात हो जाती है. तब हम खुद को ज्यादा पीड़ित महसूस करते हैं. लेकिन जिस वक्त आपको ये अहसास होगा कि सिर्फ आप ही पीड़ित नहीं हो बल्कि दूसरा व्यक्ति भी परिस्थितिवश आपकी ही तरह पीड़ित है, तो आप उस स्थिति में पहुंच जाते हो कि आप किसी को भी माफ कर दो. क्योंकि आपका पीड़ित होने का दर्द गायब हो जाता है.’
शुरुआती वर्षों में प्रियंका गांधी अपने पिता की हत्या की जांच के लिए बनी जेएस वर्मा कमिटी के काम-काज में खासी दिलचस्पी लेती थीं. कमिटी की बातों को गौर से सुनती और नोट्स बनाती. राजीव गांधी हत्याकांड में साजिश की जांच करने वाली एमसी जैन कमिशन की बैठकों में भी प्रियंका गांधी जाया करती थीं. प्रियंका इस हत्याकांड मे लिट्टे के रोल को ज्यादा से ज्यादा समझना चाहती थी.
जब गांधी परिवार ने नलिनी को माफ करने का फैसला किया
साल 1999 में गांधी परिवार ने राजीव गांधी हत्याकांड की दोषी नलिनी को माफ करने का फैसला किया. 18 नवंबर 1999 को सोनिया गांधी ने तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन को बुलाकर कहा कि वो और उनके बच्चे नलिनी को माफ किए जाने की अपील करती हैं. केआर नारायणन उनकी बात सुनकर सन्न रह गए.
ये वो वक्त था, जब नलिनी के परिवार ने सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं. वेल्लोर जेल में नलिनी को फांसी दिए जाने की तैयारी चल रही थी. के आर नारायण को दया याचिका के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी, क्योंकि सोनिया गांधी इस बात को मीडिया में नहीं आने देना चाहती थीं.
कहा जाता है कि कि उस वक्त राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष मोहिनी गिरी की वजह ये बात बाहर आ गई. सोनिया गांधी ने उनसे केआर नारायणन से मुलाकात की बात कही थी. मोहिनी गिरी ने सोनिया गांधी को नलिनी की दया याचिका पर चर्चा के लिए बुलाया था. बात को दबाए रखने के लिए एक एनजीओ गिल्ड ऑफ सर्विस ने नलिनी की दया याचिका लगाई थी. इस एनजीओ से खुद तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन जुड़े थे.
गांधी परिवार ने कैसे लिया नलिनी को माफ करने का फैसला
कहा जाता है कि नलिनी को माफ करने के मुद्दे पर 10 जनपथ में कई बार सोनिया गांधी, प्रियंका और राहुल गांधी के बीच बातचीत हुई. जून 1991 में जिस वक्त नलिनी को गिरफ्तार किया गया था, उसके कुछ दिनों पहले ही उसने मुरुगन से शादी की थी. 1992 में नलिनी ने वेल्लोर जेल में ही एक बेटी को जन्म दिया.
1999 में जिस वक्त नलिनी को फांसी देने की तैयारी चल रही थी, उसकी बेटी 7 साल की हो चुकी थी.
10 जनपथ में नलिनी के मुद्दे पर चर्चा के दौरान प्रियंका का कहना था कि कोई भी कार्रवाई की वजह से किसी बच्चे को अनाथ नहीं होना चाहिए. राहुल की भी इस पर सहमति थी. दोनों ने ही अपने पिता को खोया था और अनाथ होने का दर्द समझ रहे थे. गांधी परिवार इस नतीजे पर पहुंचा कि अगर नलिनी को फांसी हो भी गई तो परिवार को किसी तरह का सुकून हासिल नहीं होगा.
जब नलिनी से मिलीं और फूट-फूट कर रोने लगीं प्रियंका
काफी बाद में प्रियंका गांधी ने वेल्लोर जेल जाकर नलिनी से मुलाकात भी की थी. 19 मार्च 2008 को वेल्लोर जेल में प्रियंका गांधी और नलिनी मुरुगन की मुलाकात हुई. एनडीटीवी से बात करते हुए प्रियंका गांधी ने इस मुलाकात के बारे में कहा था कि ‘ मैं जब उससे मिली तो मुझे महसूस हुआ कि अब मैं उससे गुस्सा नहीं हूं. मेरे भीतर नफरत भी नहीं थी. मैं अब भी सोच रही थी कि उसने जो किया, मैं उसे माफ कर सकती हूं. वो मेरे लिए सबसे बड़ा सबक था. मुझे लगा कि ये भी औरत है और इसने भी सहा है, भले ही मेरे इतना ना सही.’
जेल में नलिनी मुरुगन ने एक किताब लिखी थी-. 2016 में आई इस किताब में नलिनी ने प्रियंका गांधी से मुलाकात के बारे में लिखा था. नलिनी ने लिखा था कि प्रियंका गांधी फूट-फूट कर रो रही थी. उन्होंने मुझसे पूछा- 'तुमने ऐसा क्यों किया? मेरे पिता एक अच्छे इंसान थे, एक नरमदिल इंसान. अगर तुम्हें कोई समस्या थी तो तुम उनके साथ बात करके सुलझा सकती थी.’
किताब में नलिनी ने लिखा था कि उसे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि प्रियंका गांधी इस तरह से रोने लगेंगी. नलिनी ने लिखा कि उसने जवाब में कहा, मैडम, मैं कुछ नहीं जानती. मैं एक चींटी को भी चोट नहीं पहुंचा सकती. मैं परिस्थितियों की वजह से कैद में हूं. मैं किसी को चोट पहुंचाने के बारे में सपने में भी नहीं सोच सकती.’
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