Friday, 31 January 2020

निर्भया के गुनहगारों को कल सुबह फांसी होगी या नहीं?




सालो के बाद निर्भया को एक इंसाफ मिली, लेकिन हमारे देश का कानून अभी भी अंधे पन का शिकार है, सालो के बाद निर्भया को इंसाफ तो दिया लेकिन अभी भी सभी लोगो को इंतजार है की इंसाफ मिलेगा की नहीं?,इंसाफ की एक तारीख तय की गई लेकिन उसे टाल दिया गया उसके बाद दूसरी तारीख तय की गई 1 फरवरी लेकिन इस तारीख को निर्भया को इंसाफ मिल पायेगा की नहीं?अभी भी लोगो को इंतजार है

उसका कारण ये लोग है जो लोग अभी भी दोषियो को बचाने की हर संभवत कोशिश कर रहे है,
निर्भया के गुनहगारों को कल शनिवार सुबह फांसी दी जानी है, लेकिन मौत की सजा पाए चारों दोषी फांसी की सजा टालने के लिए हरसंभव कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
निर्भया के गुनहगार फांसी की सजा को टालने के लिए हरसंभव कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं. गुनहगार विनय ने फांसी पर रोक लगाने की मांग की है. पटियाला हाउस कोर्ट में गुरुवार को विनय की ओर से दाखिल याचिका में राष्ट्रपति के पास दया याचिका लंबित होने के आधार पर फांसी पर रोक लगाने की अपील की गई है. पवन की याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई है.

दोषी पवन की याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि विनय ने दया याचिका लगाई है, इसलिए हमें याचिका के निपटारे तक इंतजार करना होगा, लेकिन बाकी तीनों को फांसी पर 1 फरवरी को लटकाने में किसी नियम का उल्लंघन नहीं होगा. इस पर दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने पवन गुप्ता की जुविनेल्टी से जुड़ी पुनर्विचार याचिका दाखिल की हुई है, जिस पर सुनवाई होनी बाकी है.

इस मामले में वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इस मामले में फांसी अलग-अलग नहीं दी जा सकती है. नियम के हिसाब से भी किसी भी एक मामले में दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी सकती, जब तक कि सभी दोषियों की सभी याचिकाओं का निपटारा हो जाए.




वकील वृंदा ग्रोवर ने 1981 के एक मामले का जिक्र किया, जिसमें 3 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी. इस मामले में 2 लोगों ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई और उनको राष्ट्रपति ने माफ कर दिया था, लेकिन एक दोषी ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका नहीं लगाई और उसे फांसी दे दी गई. एक ही मामले में एक को फांसी हुई. इसलिए उसके बाद से सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया किसी एक मामले में फांसी सभी दोषियों को एक साथ दी जाएगी.
वकील वृंदा ग्रोवर ने अपनी दलील में कहा कि 1981 के उस मामले में जिस एक को फांसी हुई, उनको देश की कोई भी अदालत बदल नहीं सकती. फांसी देने के बाद उसको बदला नहीं जा सकता, इसलिए 1 फरवरी को फांसी नहीं दी जा सकती. इस मामले में कहा जा रहा है कि मामले को लंबा खींचने के लिए याचिकाओं को लगाया जा रहा है. तो मैं बताना चाहूंगी कि रिकॉर्ड टाइम में क्यूरेटिव और दया याचिका लगाई गई है.

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