Thursday, 30 July 2020

शॉर्ट फिल्म दर्पण हुई रिलीज


एसडी प्रोडक्शन के बैनर तले बनाई गई शॉर्ट फिल्म " दर्पण " कल सोशल मीडिया यूट्यूब पर रिलीज हुई | फिल्म " दर्पण " जीवन में होने वाले परिवर्तन व मानसिक असमंजस की स्थिति तनाव का कारण बनती है। और ये तनाव आम जीवन में गंभीर मानसिक समस्या का रूप ले लेती है। इन्ही समस्याओ को दर्शाती है यह फिल्म |

 इस शॉर्ट फिल्म के यूट्यूब पर रिलीज होते ही इस फिल्म को काफी पसंद किया गया  | उदयपुर के उभरते युवाओं द्वारा बनाई गई है शॉर्ट फिल्म के डायरेक्टर राकेश शर्मा है | वहीं इस फिल्म की कहानी हिना ने लिखी हैं | एवं इस फिल्म में मेन लीड ऐश्वर्या शर्मा एवं दीपेंद्र कुमावत , रॉक राहुल ने किया है | इस शॉर्ट फिल्म के डायरेक्टर राकेश शर्मा ने बताया कि वह पिछले कई सालों से शॉर्ट फिल्म बना रहे हैं | उन्होंने कबीरा , फियर ऑफ लव , नूर, जैसी शॉर्ट फिल्म एवं सॉन्ग बनाए हैं |

Wednesday, 8 July 2020

नहीं रहे "शोले" के "सूरमा भोपाली" "जगदीप"

शोले फिल्म में सूरमा भोपाली के नाम से लगातार कई दशकों तक लोगों को हंसाने वाले अभिनेता "जगदीप" आज सबको रुला गए। आज मुंबई में उनका निधन हो गया वे ८१ साल के थे।

टीवी प्रोडूसर "नावेद जाफरी" और एक्टर "जावेद जाफरी" के पिता "जगदीप" का असली नाम "सय्यद इश्तियाक़ अहमद जाफरी" था। "जगदीप" ने अपने फ़िल्मी कैरिएर की शुरुआत निर्देशक "बी आर चोपड़ा" की फिल्म "अफसाना" से १९५१ में बाल कलाकार के रूप में की थी।

"अब दिल्ली दूर नहीं", "आर पार", "मुन्ना", "दो बीघा ज़मीन" जैसी फिल्मों में उन्होंने बाल कलाकार के तौर पर काम किया था। १९६८ में "शम्मी कपूर" की ब्रह्मचारी से वे कॉमेडी एक्टर के तौर पर फेमस हो गए।

१९७५ में आयी "रमेश सिप्पी" की फिल्म "शोले" से वे कॉमेडी किंग बन गए। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जगदीप ने "सूरमा भोपाली" नाम से एक फिल्म का निर्देशन भी किया था।

जगदीप ने "रामसे ब्रदर्स" की हॉरर फिल्म  "पुराना मंदिर" और ३डी हॉरर फिल्म "सामरी" में भी अभिनय किया था। जो दर्शक कभी नहीं भूल सकते। लगभग ३५० फिल्मों में अपने अभिनय का भोपाली जलवा दिखाने वाले अंदाज़  के वे पहले और आखिरी अभिनेता थे।  २०१७ तक वे बॉलीवुड में सक्रीय रहे।  जिनकी आखिरी यादगार फिल्म थी २०१२ में रिलीज़ हुई "गली गली में छोरा" है।

- अरुण कुमार कमल

Thursday, 2 July 2020

फिल्म "ये है मेरा वतन" के सातवें पोस्टर निकली लड़की जिसके डायलॉग से आवाज आयी बेपनाह मोहब्बत की


फिल्म "ये है मेरा वतन" के सातवें पोस्टर में "मृदुला महाजन"

लेखक, निर्माता, निर्देशक "मुश्ताक़ पाशा" की फिल्म "ये है मेरा वतन" के आज तक हमने जितने भी पोस्टर देखे हैं उनमे हमेशा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सामने वाले की जान लेने की कोशिश जाती रही है।

अभी तक हम पोस्टर पर लिखे डायलॉग से कुछ ना कुछ कहानी बनाने की कोशिश कर ही रहे थे कदम दर कदम मंजिल की ओर बढ़ ही रहे थे रास्ते पर चलते जा रहे थे कि अचानक हमारे सामने एक टी पॉइंट आ गया जहाँ से या तो हम या तो लेफ्ट जा सकते थे या फिर राइट, लेकिन तभी फिल्म के अगले पोस्टर के डायलॉग से एक लड़की की आवाज आती है।

"कसम खुदा की आपके इंतज़ार में कभी हमारी जान निकल जाएगी"
ये आवाज़ है फिल्म के सातवें पोस्टर के किरदार की, इस पोस्टर में नज़र आ रही हैं अभिनेत्री "मृदुला महाजन" जिन्होंने इस फिल्म में "फ़िदा" का किरदार निभाया है।

फिल्म में अब तक कहानी की डायलॉग में ही बात हो रही थी वो भी तलवार, गोली, बन्दूक, बारूद और शोलों की लेकिन पहली बार फिल्म में शोलों के ऊपर शबनम बरसती दिखी, जैसे अचानक पतझड़ के बाद बहार आ गयी हो।

फिल्म के पोस्टरों से नफरत पैदा करने वाले डायलॉग के बाद अचानक बेपनाह मोहब्बत वाले डायलॉग ने फिल्म की कहानी को लेकर और भी कौतूहल पैदा कर दिया है, अब पता नहीं अगले पोस्टर से क्या निकलता है। अब तो बस इंतज़ार है अगले पोस्टर का।

- अरुण कुमार कमल
"मृदुला महाजन" के साथ लेखक, निर्माता, निर्देशक- "मुश्ताक़ पाशा"